स्त्री-मुक्ति विमर्श के भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण: एक अवलोकन
DOI:
https://doi.org/10.7492/d2p6ey86Abstract
स्त्री-मुक्ति विमर्श को कई दृष्टिकोणों से परखा जा सकता है काल की दृष्टि से इसे इतिहास, पौराणिक मिथक एवं वर्तमान परिदृश्य के आधार पर परखा जा सकता है तो अवधारणा की दृष्टि से इसे अलग तरह से परिभाषित किया जा सकता है इसकी परिभाषा लैंगिक आधार पर निर्मित होती है इस कारण भिन्न-भिन्न होना स्वाभाविक है स्त्री-मुक्ति की परिभाषा पुरूष अपने दृष्टिकोण से करता है जो स्त्रियों की आकांक्षा से अलग होती है। स्त्रियों को इस आंदोलन के प्रति अपनी दृष्टि के अनुरूप स्त्री-मुक्ति की एक अलग समझ होती है। हालांकि स्त्री-पुरूष दोनों की समझ की परंपरावादी, मध्यममाग्र्री व आधुनिकतावादी समझ के आधार पर भिन्न-भिन्न रूपों में सामने आती है।
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2011-2025
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Articles