जनजातीय महिलाओं के सशहिकरणरू समस्याओंए संभावनाओं और नीहतयों का अध्ययन

Authors

  • 1. डॉ. राजेश्वरी गगग , 2. पुष्पलता भगत Author

DOI:

https://doi.org/10.7492/p473c935

Keywords:

समस्याये, संभावनाए, संवैधाहनक प्रावधान, सांस्कृहतक पररप्रेक्ष्य, अवसर

Abstract

जनजातीय महिलाओं का सशहि एक मित्वपुंग हवषय आई जो समाजक न्याय, समानता और समृद्धि की दशा में मित्वपुंग योगदान कर सकता है। भारत की कुल जनसंख्या में अनुसूहित जनजातियाँ लगभग 8.2% हैं। भारत में ह्वाभन्न जनजाहतियों के 3 हवशेषों और अंतरों पर ध्यान देने वाले मानवशास्त्रीय साहित्य की एक मित्वपुंग मात्रा के इयावजूद, इन अददवासी समूह के भीतर महिलाओं की हस्तहत को संजोहदत करने वाले अंतःह्वाशय अनुसंधान की उल्लेखनीय कमी रही। इस पेपर का उद्देश्य भारत में अनुसुहित जनजाहतियों के बारे में महिलाओं की हश्रहत की जांनि और हवश्लाहन करके इस अंतर को संजोहदत करना है। इस अध्ययन में, मैं अनुसुहित जनजाहतियों की सामाजिक और सांस्कृतिक हातक प्रार्थनाओं की तुलना आधार की हिंदू और अनुसुहित जहत की कहानियां से कहूंगा। इस हवश्लेषण के माध्यम से, मेरा लक्ष्य आदवासी संस्कृत हतयों के अनुठे पिलुओं पर जोर देना और डाक अनुसुहित जनजाहतयों की कई महिलाओं को अपने हिंदू और अनुसुहित जाहत के समकक्षों की तुलना में कमविभाजन
का सामना करना पड़ा।

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Published

2011-2025