महिला आत्मकथाकारों का हििंदी आत्मकथा साहित्य में योगदान

Authors

  • प्रा. डॉ. प्रमोद गोकुळ पाटील Author

DOI:

https://doi.org/10.7492/t2v8mf64

Keywords:

तेज़ बयार, नूतन आयाम, सृजन, स्त्री-आत्मकथाएँ, मानहसकता, गोपनीयता, सामाजिक सरोकार, पारदर्शी, परिष्कृत

Abstract

इक्कीसवीं सदी संचार-क्रांति की तेज़ बयार में जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित कर रही है, जिसने व्यक्ति को सोचने एवं गढ़ने के लिए नई जमीन दी तथा बहुआयामी परिवेश का सृजन किया। इस सृजन ने साहित्य में भी नए-नए प्रयोग एवं विधाओं को नूतन आयाम दिया। इसमें से एक आयाम आत्मकथा के लिए भी प्रशस्त हुआ। साहित्य में आत्मकथाओं की लाइन-सी लग गई। अपने आपको संपूर्णता में व्यक्त कर देने की ललक ने स्त्री की लेखनी को भी इस दिशा में प्रवृत्त किया और 'स्त्री-आत्मकथाएँ' इस सदी में चर्चा का विषय वन बैठीं। अपने जीवन को रहस्यात्मक गोपनीयता को पाठक मनोयोग से पढ़े, इसी मानसिकता ने आत्मकथाओं के लेखन को फैशन के बतौर चला दिया। इस शोधलेख में प्रभा खेतान, चन्द्रकिरण सोनरेक्सा, मन्नू भंडारी, मैत्रेयी पुष्पा, कृष्णा अग्निहोत्री की आत्मकथाओं का कुछ कथ्य लेकर उसमें सामाजिक सच और स्त्री का यथार्थ परखने की कोशिश की गई है। 

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Published

2011-2025