महिला व्यंग्यकार अर्चना चतुर्वेदी के व्यंग्य संग्रहों में चित्रित राजनीतिक बोध
DOI:
https://doi.org/10.7492/hgdryd15Keywords:
व्यंग्यकार, दावेदारी, जलसा, उम्मीदवार, भाषणबाजी, प्रजातंत्र, विरासत, खानदान, ब्रज भाषा, जीवनशैलीAbstract
बहुचर्चित व्यंग्यकार और ब्रज भाषा की लेखिका अर्चना चतुर्वेदी हास्य-व्यंग्य के क्षेत्र में काफी चर्चित है। उनका उपन्यास 'गली तमाशेवाली', 'घूरो मगर प्यार से' और 'मर्द शिकार पर हैं' काफी चर्चित रहे हैं। 'घूरे का हंस' उनका नया उपन्यास है। हास्य के रंग में रंगे व्यंग्य में यह अनूठी कहानी है। अर्चना जी एक ऐसी अनूठी व्यंग्यकार है जिन्हें साहित्य की अनेक विधाओं पर महारत हासिल है। यह बात अलग है कि आधुनिकता के परिवेश में बदलती हुई जीवन शैली, चिंतन, खानपान और रहन-सहन पर पाश्चात्य सभ्यता ने यथेष्ट प्रभाव छोड़ा है। लेखिका इन सभी अवयवों पर अपने उपन्यास के चरित्रों और घटनाओं के माध्यम से बहुत कुछ कह जाती है।
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2011-2025
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Section
Articles