शहरी एवं ग्रामीण महिलाओं में बढ़ता कुपोषण : एक समाजशास्त्रीय अध्ययन
DOI:
https://doi.org/10.7492/yqk0gz37Keywords:
अनुसूची, निरीक्षण, कुपोषण, पत्तेदार सब्जिया, प्रोटीन युक्त, योगदान, भूखमरी, सूचकांक, कुपोषित, विकासशील, प्रौद्योगिकी एवं तकनीकिAbstract
कुपोषण एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर को आवश्यक पोषक तत्व उचित मात्रा में नहीं मिलते, जिससे शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है। यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब व्यक्ति को अपर्याप्त आहार मिलता है, भोजन संतुलित नहीं होता, या शरीर पोषक तत्वों का सही तरीके से अवशोषण नहीं कर पाता। भारत देश सोने की चिडिया होने के बावजूद भी आज कुपोषण जैसी समस्या से ग्रस्त है। प्रस्तुत शोध धुले शहर की ‘गुलमोहर’ कालोनी एवं शिंदखेडा ग्रामीण की ‘सुदर्शन कालोनी’ पर आधारित है। जिसमें इन दो कालोनियों की ५० महिलाओं का अध्ययन किया गया है। इस शोध के लिए साक्षात्कार अनुसूची का निर्माण किया गया तथा निरीक्षण विधि का भी प्रयोग किया गया है। शोध के अन्तर्गत उद्देश्यपरक निदर्शन का प्रयोग किया गया।
इस शोध में मुख्य रूप से महिलाओं में कुपोषण के कारण को खोजने का प्रयास किया गया है। साथ ही इनका निवारण कैसे किया जाए, इन उपायों को भी खोजने का प्रयास किया गया है। शोध के अन्त में यह निष्कर्ष निकल कर सामने आया कि महिलाओं को अपने नित्य प्रतिदिन के हे है। भोजन में हरी पत्तेदार सब्जिया लौह तत्व युक्त, प्रोटीन युक्त भोज्य पदार्थ व रेशेदार सब्जियां, अण्डे, फल, सूखे मेवे इत्यादि अवश्य ही शामिल करने चाहिए तभी जाकर ये कुपोषण की समस्या महिलाओं से दूर हो सकती है और तभी जाकर वे एक स्वस्थ सन्तान को जन्म देकर स्वस्थ भारत को बनाने में अपना योगदान दे सकती है।
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