भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की लौह महिला: अरुणा आसफ अली
DOI:
https://doi.org/10.7492/3ztjjm41Abstract
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन न केवल हमारे देश को ब्रिटिश शासन से। आजाद करने का प्रयास था बल्कि यह भारतीयों के लिए अपनी पहचान, आत्मसम्मान और स्वतंत्रता प्राप्त करने का एक युगांतरकारी संघर्ष था। यह आंदोलन भारतीय इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसने देश को न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से भी नई दिशा दी। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का सबसे प्रमुख उद्देश्य ब्रिटिश ब्रिटिश शासन से मुक्ति पाना था इस आंदोलन के कारण 15 अगस्त 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई और और देश ने औपनिवेशिक शासन से अपनी संप्रभुता वापस पाई।
स्वतंत्रता आंदोलन केवल राजनीतिक संघर्ष नहीं था बल्कि इसमें सामाजिक सुधारों को भी बढ़ावा दिया गया। महिलाओं की भागीदारी , जाति प्रथा का विरोध, शिक्षा का प्रचार-प्रसार और गरीबों के अधिकारों के लिए लड़ाई आंदोलन के प्रमुख पहलू थे।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन किसी एक नायक द्वारा नहीं चलाया गया अपितु सभी भारतवासियों ने अपने स्तर से स्वतंत्रता आंदोलन में नई ऊर्जा का संचार किया। जिसमें मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई, महात्मा गांधी,दादाभाई नौरोजी, गोपाल कृष्ण गोखले, लाला लाजपतराय, बाल गंगाधर तिलक, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव आदि प्रमुख रहे। परंतु इन जननायक के साथ कई ऐसे भी शहीद हैं जिन्होंने अपने जीवन का सर्वस्व भारत को स्वतंत्र करने के लिए न्योछावर कर दिया । उन शहीदों के नाम तक पूर्ण रूप से भारतीय जनता नहीं जानती है । परंतु यह विषम संग्राम जिस शक्ति, संवरण से जीता जाना संभव हो सका उसके मूल में तप, त्याग, शौर्य, सत्य ,पराक्रम , विश्वबंधुत्व आदि उद्दात गुणों से समृद्ध मातृभूमि के प्रति समर्पित भाव ‘भारतीयता’ ही केंद्र में था।