अपने अस्तित्व के जद्दोजहद में लक्ष्मी त्रिपाठी जी की सामाजिक भूमिका – (लक्ष्मी त्रिपाठी कृत ‘मैं हिजडा, मैं लक्ष्मी !’ के विशेष संदर्भ में)
DOI:
https://doi.org/10.7492/bbj9ha49Abstract
प्रस्तुत विषय भारतीय महिलाओं की विभिन्न क्षेत्र में विकास यात्रा इस शीर्षक से संगोष्टी का विषय तय हैं। अत: इस व्यापक विषय को साहित्य कि दृष्टिसे, कई अछूते विषयों को स्पर्श किया जा सकता है। बहुत से विषयों का मन में कोलाहल, कई विषय एक के बाद एक विचार पटल पर आ रहे थे, भारतीय महिलाओं की विभिन्न क्षेत्र में विकासयत्रा से संबंधित सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, आर्थिक, ऐतिहासिक, वैज्ञानिक क्षेत्र से जुडी महिलाएँ, जैसे डॉ. अनुसुया शर्मा, डॉ. नलिनी जोशी, डॉ. सुधा डिंगरा, तकनीकी क्षेत्र से जुडी डॉ. प्रतिभा ज्योति, डॉ . रश्मि अग्रवाल, डॉ. सोनाली भारव्दाज, साहित्यीक क्षेत्र की कई लेखिकाएँ महादेवी वर्मा, सुभद्राकुमारी चौहान, शिवानी, कृष्णा अग्निहोत्री मैत्रेयी पुष्पा आदि कई नाम सामने थे। परंतु लिक से हटकर, एक ऐसे वंचित सामाजिक समुदाय पर अपना योगदान देनेवाली लेखिका लक्ष्मी त्रिपाठी के सामाजिक पहलुओं पर व्यक्त होना उस विषय से न्याय देने योग्य मैं समझता हू।