अध्यापकों के कक्षागत अन्तःक्रिया विश्लेषण का परिवेश के संदर्भ में तुलनात्मक अध्ययन
DOI:
https://doi.org/10.7492/exnqjd54Abstract
शिक्षा को लेकर प्रतिदिन आलोचनाएँ कहीं और सुनी जाती है। दिन प्रतिदिन गिरता हुआ शिक्षा का स्तर निश्चित रूप से चिन्ता का विषय है। शिक्षा ही एक मात्र साधन है जिसके द्वारा व्यक्ति का सर्वागीण विकास किया जा सकता है किसी भी देश की सर्वतोन्मुखी प्रगति वहाँ की शिक्षा पर निर्भर करती है। अतः यह आवश्यक हो जाता है कि शिक्षा को अधिक से अधिक प्रभावशाली बनाया जाये जिससे परीक्षा द्वारा वांछित उपलब्धियाँ प्राप्त की जा सके। मानव विकास में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान आदिकाल से हो रहा हैं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शिक्षा द्वारा मानव का सर्वांगीण विकास करने का प्रयत्न किया जाता है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद हमारे देश मंे शिक्षा द्वारा भारतीय जनतंत्र के लिए सुयोग्य नागरिकों को तैयार करने की दृष्टि से अनेक परिवर्तनों की रूपरेखा तैयार की गई है। अनेक आयोगों का गठन शिक्षा क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं के अध्ययन के लिए तथा अनेक निवारणार्थ किया गया। सभी आयोगों के गहन अध्ययन के पश्चात् अपने सुझाव प्रस्तुत किये किन्तु उन सुझावों को क्रियान्वित नहीं किया जा सका, यह दुर्भाग्य का विषय है।