जनसंचार माध्यम के परिप्रेक्ष्य : विदेश में हिन्दी भाषा का बढ़ता प्रभाव
DOI:
https://doi.org/10.7492/t626em12Abstract
हिन्दी भाषा के विकास का जनसंचार माध्यमों के विकास में गहरा योगदान है । संचार का अर्थ है एक दुसरे को जानना, संबंधित सूचनाओं का आदान-प्रदान करना, बातचीत या वार्तालाप करना होता है । संचार प्रणाली अत्यंत विकसित एवं वैज्ञानिक है । संचार के माध्यम से मनुष्य के सामाजिक बंधन बनते है और विकसित होते है । समाज के संचालन की समस्त प्रक्रिया संचार पर आधारित होती है । संचार मनुष्य के अलावा सभी प्राणियों में होता है । इसके लिए माध्यम होना आवश्यक है । भाषा ही संचार का माध्यम है । भाषा के माध्यम से ही एक व्यक्ति दुसरे से, एक समूह को दुसरे समूह से और एक देश को दुसरे देश से जोड़ा जा सकता है । इसलिए सूचनाओं एवं भावनाओं को एक-दुसरे तक सम्प्रेषित करने की कला का नाम संचार है । संचार माध्यम का प्रभाव समाज में अनादिकाल से ही रहा है । परंपरागत एवं आधुनिक संचार माध्यम समाज की विकास प्रक्रिया से जुडे़ हुए है । संचार माध्यम का श्रोता अथवा लक्ष्य समूह बिखरा होता है । फिर संचार माध्यम ही संचार प्रक्रिया के अंजाम तक पहुंचते है । जनसंचार, जनसंपर्क या लोकसंपर्क से तात्पर्य उन सभी साधनों के अध्ययन एवं विश्लेषण है, जो एक साथ बहुत बड़ी जनसंख्या के साथ संबंध संबंधित करने में सहायक होते है ।
प्रायः इसका अर्थ सम्मिलित रूप से समाचार, पत्र, पत्रिकाएँ रेडिओ, दूरदर्शन, चलचित्र से लिया जाता है जो समाचार एवं विज्ञापन दोनों के प्रसारण के लिए प्रयुक्त होते है । जनसंचार माध्यम में संचार शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के चर धातु से हुई है । जिसका अर्थ है चलना । संचार के सभी माध्यम में हिन्दी ने मजबूत पकड़ बना ली है । चाहे वह हिन्दी समाचार पत्र हो, रेडियो हो, दूरदर्शन हो, हिन्दी सिनेमा हो, विज्ञापन हो या ओ.टी.टी. हो सर्वत्र हिन्दी छायी हुई है । वर्तमान समय में हिन्दी को वैश्विक सन्दर्भ प्रदान करने में उसके बोलने वालों की संख्या, हिन्दी फिल्मे, पत्र-पत्रिकाएँ, विभिन्न हिन्दी चॅनल, विज्ञापन एजेंसियां, हिन्दी का विश्वस्तरीय साहित्य तथा साहित्यकार आदि का विशेष योगदान है । इसके अतिरिक्त हिन्दी को विश्व भाषा बनाने में इन्टरनेट की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण है । आज हिन्दी अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त माध्यम बन गई है । हिन्दी चैनलों की संख्या लगातार बढ़ रही है । बाजार की प्रतिस्पर्धा के कारण ही सभी अंग्रेजी चैनलों का हिन्दी रूपांतरण हो रहा है । इस समय हिन्दी में भी एक लाख से ज्यादा लोग सक्रिय है । अब सैंकड़ों पत्र-पत्रिकाऐं इन्टरनेट पर उपलब्ध है । हिन्दी में वैश्विक स्वरूप को संचार माध्यमों में भी देखा जा सकता है ।