धर्मवीर भारती की कहानियोंमें चित्रित आधुनिक आयाम
DOI:
https://doi.org/10.7492/gc4d6r59Abstract
धर्मवीरभारती के जीवन की आधुनिक परिस्थितियों ने विश्ेष प्रभाव डाला। बचपन से लेकर उनके पिता की मृत्यु तक की अवस्था को यदि देखें तो उनका परिवार उच्च मध्यवर्ग से निम्न मध्यवर्ग के आर्थिक स्तर तक पहुँच चुका था। विभिन्न कठिनाइयों से भरा, संघर्षपूर्ण जीवन आगे पड़ा थाऋ जिसे भारती ने चुनोती के रूप में स्वीकार किया। इसे हम भारती पर उनके पिता का प्रभाव, शिक्षा ओर संस्कार कह सकते हैं, जिसे भारती अपना ‘नायक’ कहते हैं। भारती के माता-पिता दोनों आर्य-समाजी थे। परन्तु माँ कट्टर आर्य-समाजी थी तो पिता समझदार आर्य-समाजी। पिता ने आरंभ से ही भारती को जिस प्रकार की शिक्षा दी उससे निश्चय ही उन्हें कठिनाइयों से भरे जीवन को जीने में सहायता मिली होगी। भारती के पिता ने आरंभ से ही उन्हें हर प्रकार की फस्तकें लाकर पने की प्रखरता ओर माधुर्य के स्पर्श से प्रसूत स्नेह-स्निग्धता मेरे भावी जीवन का सम्बल बन गये। कुछ पाने, कुछ खोने का यह दोर मेरे सोच ओर सर्जकता की बुनियाद है।’’ भारती के व्यक्तित्त्व का यह द्वन्द्व उनके साहित्य पर भी दिखाई पड़ता है। जहाँ तक माँ-बेटे के संबंधों का प्रश्न है उसकी झलक हमें उनकी कहानी ‘बंद गली का आखिरी मकान’ में थोड़ी-बहुत मिलती है। भारती के व्यक्तित्त्व निर्माण में साहित्यिक संस्था ‘परिमल’ और उनकी साहित्यिक मित्रा-मंडली का बहुत बड़ा योगदान रहा। इलाहाबाद के लगभग सभी नये-पुराने लेखक-कवि उसमें भाग लेते थे। भारती के निर्भीक व्यक्तित्त्व निर्माण में उनके पिता के साथ उनके गुरु डा. धीरेन्द्र वर्मा का प्रभाव रहा। जिनसे बहुत सहारा, निर्देशन ओर प्रोत्साहन मिला उनमें वे माखनलाल चतुर्वेदी ओर ताराशंकर बन्धोपाध्याय का नाम लेते हें।