‘परती परिकथा’ और ‘ऋणजल’ धनजल की वास्तविकता – (फणीश्वर नाथ रेणु)
DOI:
https://doi.org/10.7492/sdtjjh21Abstract
आधुनिक हिंदी साहित्य में फणीश्वर नाथ रेणु प्रसिद्ध आंचलिक साहित्यकार के रूप में जाने जाते हैं| उनकी रचनाओं में ग्रामीण जीवन का सुंदर चित्रण देखने को मिलता है| उनकी रचनाओं को पढ़कर ऐसा लगता है, मानो ग्रामीण जीवन साक्षात दर्शन हो रहे हैं| फणीश्वर नाथ रेणु एक लेखक होने के साथ स्वतंत्रता सेनानी भी थे| जिन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाई थी| इसके साथ रेणु अपनी विशिष्ट भाषा शैली हिंदी कथा साहित्य को एक नया आकार दिया था|
वही आधुनिक हिंदी साहित्य में अपना विशेष योगदान देने के लिए फणीश्वर नाथ रेणु जी को भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से भी सन्मानित किया जा चुका है| बता दे की फणीश्वर नाथ रेणु की कई रचनाए जिसमे 'मैला ऑचल', 'परती परिकथा' और 'कितने चौरहे' ' मारे गए गुलकाम' , ' एक आदिम रात्रि की महक', 'लाल पान की बेगम' आदि को विद्यालय के साथ ही दिए और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालय में पढ़ाया जाता है| वही बहुत से शोधार्थियों मैं पढ़ाया जाता है| वही बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएच.डी. की डिग्री प्राप्त की है| इसके साथ ही युजीसी नेट में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले विद्यार्थी के लिए भी फणीश्वर नाथ रेणुका जीवन परिचय और उसकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है|