जल प्रबंधन पर महात्मा गांधी और डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर के विचार
DOI:
https://doi.org/10.7492/21qqda16Abstract
जलप्रबंधन महत्वपूर्ण होने का कारण जलसंसाधनों की वैश्विक मांग बढ़ती जा रही है। जलवायु परिवर्तन और गंभीर मौसम की घटनाओं की गंभीरता ने इसे और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है। वर्तमान समय में भारत के साथ-साथ संपूर्ण विश्व जल संकट का सामना कर रहा है, आवश्यक है कि इस ओर गंभीरता से ध्यान देना आवश्यक है। जल, जीवन के लिए एक अनिवार्य तत्व है और यह मनुष्य के अस्तित्व का अभिन्न हिस्सा है। भारतीय समाज में जल का महत्व सदियों से रहा है, क्योंकि यह कृषि, उद्योग, और घरेलू जीवन के लिए आवश्यक संसाधन है। जल की उचित उपयोगिता और संरक्षण पर समय-समय पर महान व्यक्तित्वों ने विचार किए हैं, जिनमें महात्मा गांधी और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के विचार विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। महात्मा गांधी ने अपने जीवन में जल के संरक्षण को अहमियत दी और उन्होंने हमेशा प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण संबंध स्थापित करने की बात की। उनका विश्वास था कि पानी का संरक्षण और उचित उपयोग ग्रामीण जीवन की समृद्धि के लिए आवश्यक है। वहीं, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने समाज के सभी वर्गों के लिए समान जल वितरण की बात की, ताकि पानी की समानता से समाज में न्याय और समानता की भावना बनी रहे। इस लेख में, हम महात्मा गांधी और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के जल प्रबंधन के दृष्टिकोणों को समझेंगे और यह जानेंगे कि दोनों के विचार आज के समय में जल संकट को सुलझाने में किस प्रकार सहायक हो सकते हैं।