गांधी दर्शन, द्वितीय विश्व युद्ध के सन्दर्भ में
DOI:
https://doi.org/10.7492/zkz0mj30Abstract
गांधी का द्वितीय विश्व युद्ध के प्रति दृष्टिकोण पूरी दुनियां के लिए प्रेरक था । इस शोध पत्र में उनके दृष्टिकोण को समझने की कोशिश की गई है । गांधी सदैव ही हिंसा एवं शक्ति के विरोधी रहे हैं । इसीलिए उन्होंने विश्व युद्ध के लिए किसी एक देश को कटघरे में ना खड़ा करके सभी साम्राज्यवादी देशों को इस विश्व युद्ध के लिए उत्तरदायी ठहराया । साथ ही उन्होंने युद्ध के कारण बिगड़े माहौल को शान्ति एवं अहिंसा से सुधारने पर जोर दिया । वे कहते थे कि युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं हैं अपितु युद्ध तो खुद ही एक समस्या है । अतः इस बिगड़े हुए माहौल को हम शक्ति से नहीं अपितु सत्याग्रह एवं शान्ति से सुधार सकते हैं । भले ही वो समय-समय पर अपनी विचारधारा को बदलते हुए दिखते हैं लेकिन इस बदलाव का कारण भारत के बदलते हुए राजनैतिक हालात है । गांधी जो कि सदैव सत्य, अहिंसा की वकालत करते हुए दिखते हैं । जब राजनैतिक जरूरत पड़ती हैं तो वो ब्रिटिश सरकार के खिलाफ करो या मरो का नारा देकर भारत छोड़ो आन्दोलन की शुरूआत करते हैं । इस प्रकार से हम देखते हैं कि गांधी मार्ग केवल हमारे लिए नहीं अपितु पूरी दुनिया के लिए प्रेरणादायी है ।
Published
2011-2025
Issue
Section
Articles