मिथिलेश्वर के उपन्यास 'प्रेम ना बाड़ी ऊपजै' में सामाजिक चिंतन

Authors

  • वैशाली दगु दामले, डॉ. जगदीश आर. परदेशी, Author

DOI:

https://doi.org/10.7492/616wje51

Abstract

मिथिलेश्वर के उपन्यासों में कई प्रकार के संघर्ष हैं, अधिकांशतः उनकी रचनाओं में पारिवारिक, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं मनोवैज्ञानिक संघर्ष की एक श्रेणी चलती रहती है। संघर्ष मनुष्य को कई प्रकार के भावों से कमजोर बनाती है। संघर्ष मनुष्य को कई प्रकार की विचारधाराओं से परिचय कराती हैं। मिथिलेश्वर के उपन्यासों में ग्रामीण, कस्बाई एवं शहरी संस्कृति का प्रत्यात्मक स्वरूप दिखाई पड़ता है। गद्य के अनेक दूसरे रूपों की तरह 'उपन्यास' भी भारतेन्दु युग की ही देन है।

Published

2011-2025

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Articles