अच्छी पत्नी' का मिथक और हिन्दी उपन्यासों में नारीवादी प्रतिरोध

Authors

  • सोनू निठारवाल, डॉ. उमारानी दुबे, Author

DOI:

https://doi.org/10.7492/9jnpcm66

Abstract

यह शोध पत्र 'अच्छी पत्नी' की उस सामाजिक-सांस्कृतिक मिथकीय संकल्पना का विश्लेषण करता है, जो पितृसत्तात्मक व्यवस्था का एक प्रमुख आधार रही है। इस संकल्पना के अंतर्गत नारी से यह अपेक्षा की जाती है कि वह त्याग, समर्पण, चरित्र और सेवा की मूर्ति बनकर परिवार विशेषकर पति के हितों की रक्षा करे। यह पत्र इस मिथक के विरुद्ध हिन्दी उपन्यासों में अभिव्यक्त नारीवादी प्रतिरोध की समीक्षा प्रस्तुत करता है। मन्नू भंडारी के 'महाभोज' और 'आपका बंटी' तथा मृदुला गर्ग के 'अनित्य' और 'चित्कोब्रा' जैसे उपन्यासों को केंद्र में रखते हुए, यह अध्ययन दर्शाता है कि कैसे इन रचनाओं की नायिकाएँ पति, परिवार और समाज द्वारा थोपे गए इस आदर्श को चुनौती देती हैं। यह पत्र इस बात की पड़ताल करता है कि कैसे विवाहित जीवन की नीरसता, अकेलेपन, मनोवैज्ञानिक संत्रास और यौनिक इच्छाओं का साहसपूर्ण चित्रण स्वयं एक राजनीतिक कार्य बन जाता है। इन उपन्यासों में नारी पात्र केवल पीड़ित ही नहीं हैं, वे सक्रिय प्रतिरोध की भाषा गढ़ते हुए, अपनी इच्छा, अस्मिता और स्वायत्तता के लिए संघर्ष करती दिखाई देती हैं, जिससे 'अच्छी पत्नी' का पारंपरिक ढाँचा टूटता और बदलता नज़र आता है।

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Published

2011-2025

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Articles