भारत में सुशासनः पहल, चुनौतियाँ एवं सुझाव
DOI:
https://doi.org/10.7492/eqp2fc29Abstract
सुषासन एक बहुआयामी अवधारणा है जो बेहतर षासन-प्रषासन की ओर इंगित करता है। देखा जाय तो यह अवधारणा विष्व बैंक की एक रिपोर्ट के प्रकाषित होने के बाद उभर कर आया, तत्तपष्चात् अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय राजनैतिक, प्रषासनिक एवं अकादमिक क्षेत्र में इस पर चर्चा-परिचर्चा का दौर आरम्भ हुआ। भारत में देखे तो प्राचीनकाल में राम राज्य की अवधारणा देखने को मिलती है और स्वतन्त्रता के पष्चात् भारतीय संविधान के भाग-3 व 4 को एक साथ मिलाकर पढ़ने से सुषासन व मानवाधिकार दोनों की छाप उभर कर आती है। अतः हम कह सकते हैं, कि सुषासन की अवधारणा हमारे लिए नई नहीं है बल्कि उन्हीं बातों को नए कलेवर में प्रस्तुत किया गया है। प्रस्तुत षोध पत्र में षोध कर्ता द्वारा द्वितीय श्रोतों एवं वर्णनात्मक एवं विष्लेषणात्मक प्रविधि का प्रयोग किया गया है। इस षोध पत्र में सुषासन का अर्थ-परिभाषा तथा सुषासन की प्रमुख विषेषताओं को बताने के साथ ही इसके मार्ग में आने वाली बाधाओं के बारे में विचार किया गया है। सुषासन के मार्ग के अवरोधों को कैसे दूर किया जाए इस हेतु कुछ उपयुक्त सुझाव भी प्रस्तुत किया गया है
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2011-2025
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Articles


