‘‘सरकारी एवं गैर सरकारी शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों (बी0एड0) में कार्यरत प्राध्यापकों के व्यक्तित्व का तुलनात्मक अध्ययन‘‘
DOI:
https://doi.org/10.7492/pmb3h674Abstract
महाविद्यालयों में प्राध्यापक शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को प्रभावी बनाने के लिए आधुनिक पद्धतियों का अनुसरण करते हैं, जिनमें डिजिटल शिक्षण, सहयोगात्मक शिक्षण, और अनुसंधान आधारित शिक्षण शामिल हैं। शोध अध्ययन से पता चलता है कि सरकारी महाविद्यालयों में संसाधनों की उपलब्धता और प्रशासनिक समर्थन बेहतर होता है, जबकि गैर-सरकारी महाविद्यालय अधिक लचीलापन और अभिनव दृष्टिकोण अपनाते हैं। प्राध्यापकों की भूमिका सिर्फ ज्ञान का प्रसार करना नहीं, बल्कि छात्राध्यापकों के व्यक्तित्व, नैतिक मूल्यों, और पेशेवर कौशलों को विकसित करना भी है। अध्ययन यह भी इंगित करता है कि कई प्राध्यापक पारंपरिक शिक्षण विधियों का पालन करते हैं, जिससे छात्रों की सक्रिय भागीदारी सीमित हो जाती है। इसके विपरीत, वे प्राध्यापक जो सक्रिय अधिगम और प्रायोगिक शिक्षण पर जोर देते हैं, बेहतर परिणाम प्राप्त करते हैं। सरकारी संस्थानों में नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम और शोध प्रोत्साहन प्राध्यापकों को अद्यतन रखने में सहायक होते हैं, जबकि गैर-सरकारी संस्थानों में अक्सर यह सुविधाएं सीमित होती हैं। इसके अलावा, प्राध्यापकों के कार्यभार, वेतनमान, और पदोन्नति की नीतियों में भी सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों के बीच महत्वपूर्ण अंतर देखा गया है। यह अध्ययन इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि दोनों प्रकार के महाविद्यालयों में प्राध्यापकों को समुचित प्रशिक्षण, संसाधन और अनुसंधान के अवसर प्रदान करने से शिक्षक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। इससे न केवल शिक्षण पद्धति में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि भविष्य के शिक्षकों को बेहतर तरीके से तैयार किया जा सकेगा। शोध अध्ययन के निष्कर्ष:- सरकारी एवं गैर सरकारी शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों (बी0एड0) में कार्यरत प्राध्यापकों के व्यक्तित्व में कोई सार्थक अन्तर नहीं पाया गया, सरकारी एवं गैर सरकारी शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों (बी0एड0) में कार्यरत पुरूष प्राध्यापकों के व्यक्तित्व में कोई सार्थक अन्तर नहीं पाया गया, सरकारी एवं गैर सरकारी शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों (बी0एड0) में कार्यरत महिला प्राध्यापकों के व्यक्तित्व में कोई सार्थक अन्तर नहीं पाया गया।