उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-भावी दिशा

Authors

  • टेक चंद, डॉ. अंजू देवी Author

DOI:

https://doi.org/10.7492/yvwksx07

Abstract

भारत में उपभोक्ता आंदोलन उतना ही पुराना है जितना व्यापार और वाणिज्य I कौटिल्य के अर्थशास्त्र में उल्लेख मिलता है कि राजा उपभोक्ताओं का संरक्षण करता था  ताकि गुणवता अनुचित मूल्य, माप और सामान में मिलष्ट के संबंध में व्यापारी और खुदरा व्यापारी उपभोक्ताओं का शोषण न कर सकें I

                                            वर्तमान में वैश्वीकरण, उदारीकरण और विविध देशों की अर्थव्यवस्थाओं के सामंजस्य  के साथ संबंधित सरकार उपभोक्ता संरक्षण संबंधी मुद्दों को प्राथमिकता दे रही है। उत्पादन एवं वितरण के बढ़ते आकार और जटिलता, विपणन में उच्च ग्तर को कृत्रिमता, विज्ञापन के नए-नए तरीके, विपणन की अनेक वि थे और खरीदारों व विक्रेताओं के बीच घटती व्यक्तिगत बौतचीत के फरवरूप ई-कामर्स के उत्कर्षने उपभोक्ता संरक्षण की जरूरत को बढ़ाने में योगदान दिया है

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Published

2011-2025

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Articles