प्रेम

Authors

  • डॉ० अमित जैन Author

DOI:

https://doi.org/10.7492/98q27p91

Abstract

उदास एवं अशांत हृदय जिस शब्द के उच्चारण से मुदित हो उठे, वह शब्द है- प्रेम। मनुष्य अपनी उत्पत्ति से ही हृदयवान है, हृदय अपनी उत्पत्ति से ही भाववान है। भावों की उत्पत्ति से ही जो उनमें प्रधान है, वह है प्रेम। प्रेम की पारलौकिकता को स्वीकार करते हुए भक्तिसूत्र में कहा गया है कि

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Published

2011-2025

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