शाहजहां कालीन स्थापत्य कला: मुग़ल युग की स्थापत्य परंपरा की चरम अभिव्यक्ति

Authors

  • डॉ. लक्ष्मी देवी सैनी Author

DOI:

https://doi.org/10.7492/2v7j5w14

Abstract

शाहजहां कालीन स्थापत्य कला मुग़ल वास्तुकला की चरम उपलब्धि मानी जाती है, जिसमें सौंदर्य, समरसता और भव्यता का अद्भुत संगम देखा जाता है। इस युग की सबसे प्रमुख विशेषता सफेद संगमरमर का सुंदर प्रयोग, सूक्ष्म नक्काशी, सममिति, चारबाग़ शैली और इस्लामी-भारतीय तत्वों का समन्वय है। ताजमहल, लाल किला, जामा मस्जिद, दीवाने-आम, मोती मस्जिद आदि स्मारक इस युग की उत्कृष्ट कलात्मक दृष्टि के प्रतीक हैं। स्थापत्य के माध्यम से शाहजहां ने न केवल शक्ति और वैभव को प्रदर्शित किया, बल्कि स्थापत्य को आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक अभिव्यक्ति का माध्यम भी बनाया। धार्मिक सहिष्णुता, शुद्ध सौंदर्यबोध और कलाप्रियता ने इस युग की स्थापत्य शैली को सार्वकालिक और वैश्विक महत्व प्रदान किया। संक्षेप में, शाहजहां कालीन स्थापत्य कला भारतीय इतिहास की एक अमूल्य धरोहर है, जो न केवल शिल्प की दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अद्वितीय स्थान रखती है।

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Published

2011-2025

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Articles